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पंचम अध्याय पेज नंबर 32 ब्रह्मवेत्ता दरबार में, बैठो सज्जन होय। गो मन अ‌ङ्ग सम्हार कर, वाणी चपल न होय ।

प्रथम मण्डल षष्ठ अध्याय पेज नंबर 33 अंतर दृष्टिहिं सूक्ष्म कर, झिना से अति झिन। अनुभव में अनुभव करो, संत माता परवीन ।

पंचम अध्याय पेज नंबर 29 क्षर पर अक्षर गाजता, निःअक्षर सब पार। मण्डल तीनों अलग है, अनुभव ज्ञान अपार ।